कैसे आयुर्वेदिक औषधि किडनी रोगी को ठीक करने में मदद करती है
किडनी रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है| पहले जहां 10 में से 1 व्यक्ति को किडनी से जुड़ी परेशानी होती थी, वहीं आज 10 में से 4 लोग किडनी खराबी की समस्या से परेशान है, जिसका एक कारण यह हैं खाने-पीने पर ध्यान न देना| लेकिन किडनी की बीमारी का बढ़ने एक प्रमुख कारण यह भी है कि किडनी की खराबी होने पर ये पता न होना कि किडनी का ट्रीटमेंट कहाँ से करवाना चाहिए?
किडनी खराब होने पर सबसे पहले किडनी रोगी ये पूछने में अपना समय बर्बाद कर देता हैं कि उसे अपना ट्रीटमेंट कौन से हॉस्पिटल से करवाना चाहिए? इसके लिए किडनी रोगी अपने आस-पास के लोगों से पता करने के बाद वो बड़े-से-बड़े हॉस्पिटल से अपना इलाज करता है, महंगी से महंगी दवाई खाता हैं| लेकिन उसके बाद भी उसे किसी प्रकार का आराम नहीं मिलता और जब किडनी की खराबी ज्यादा बढ़ जाती है, तो डॉक्टर किडनी रोगी को डायलिलिस करवाने की सलाह देते है|
किडनी रोगी को भी यही लगता है अगर डॉक्टर बोल रहे तो कोई नहीं डायलिसिस भी करवा लेने है| फिर किडनी रोगी का डायलिलिस प्रोसेस्स शुरू होता है| हफ्ते में एक बार डायलिसिस होता है, शुरुआत में तो किडनी रोगी को थोड़ा अच्छा लगता है| क्योंकि डायलिसिस से किडनी रोगी का खून फ़िल्टर होता है और शरीर में नया खून चढ़ाया जाता है जिससे किडनी रोगी को अच्छा महसूस होता है|
लेकिन कुछ महीने के बाद किडनी रोगी को डायलिसिस से आराम मिलना बंद हो जाता है| इस स्थिति में किडनी रोगी डॉक्टर से सलाह लेता है कि अब क्या करना चाहिए? क्योंकि डायलिसिस करवाने से भी अब आराम नहीं मिल रहा होता है फिर डॉक्टर किडनी रोगी को हफ्ते में दो बार डायलिसिस करवाने की सलाह देते है| लेकिन कुछ समय के बाद ऐसे नौबत आ जाती है कि किडनी रोगी को हफ्ते में 3 बार भी डायलिलिस करवाना पड़ता है और फिए एक समय ऐसा आता है कि किडनी रोगी की किडनी डैमेज हो जाती है|
आयुर्वेद में छिपा से किडनी का उपचार
जब किडनी रोगी को एलोपैथी दवाइयों से आराम मिलना बंद हो जाता है या किडनी रोगी की किडनी डैमेज हो जाती है, उसके बाद किडनी रोगी आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Ayurvedic kidney treatment hospital) लेने का विचार करता है| किडनी रोगी एलोपैथी ट्रीटमेंट करवाते समय अपने डॉक्टर से ये बात नहीं पूछते कि आखिर किन कारणों से किडनी की खराबी बढ़ रही है| वहीं आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Ayurvedic kidney treatment without dialysis in India) को शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक ये जानने की कोशिश करते है कि किडनी की खराबी किन कारणों से बढ़ रही है फिर उसके बाद आयुर्वेदिक औषधियों से ट्रीटमेंट किया जाता है|
आयुर्वेदिक औषधि किडनी रोगी को ठीक होने में मदद करती है
आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट में ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखकर किडनी को ठीक किया जाता है:-
ब्लड शुगर का नियंत्रित न रहना किडनी की खराबी का सबसे बड़ा कारण है| आपमें बहुत से लोग ब्लड शुगर नियंत्रित करने के लिए दवाई का सेवन करते होगे| लेकिन उससे भी उनका ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता होगा जिसका एकमात्र कारण है परहेज न रखना|
जी हाँ, खानपान में परहेज न रखने के कारण भी आपका ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता क्योंकि आपमें से अधिकतर लोगों को इस बात का भ्रम हमेशा रहता हैं कि हम तो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की दवाई ले रहें हैं तो हमें खाने पीने में परहेज रखने की क्या जरूरत हैं|
जो कुछ समय के बाद आपकी किडनी में संक्रमण बढ़ने का कारण बनती हैं क्योंकि ब्लड शुगर की समस्या में परहेज न रखने पर अन्दर हीं अन्दर आपकी किडनी संक्रिमित होने लगती हैं| जिसके कारण आपको किडनी संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है| ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए आयुर्वेदिक औषधी और खान-पान में परहेज करके किडनी को ख़राब होने से बचा सकते हैं|
तला, भुना, मसालेदार खाने से बढ़ता हैं बल्ड प्रेशर:
बढ़ती उम्र के साथ सभी को अपने खान-पान पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि तला, भुना, मसालेदार खाना खाने से बढ़ता हैं ब्लड प्रेशर| ब्लड प्रेशर सुनने में एक छोटा सा शब्द है लेकिन इसके साइडीइफेक्ट आपको हार्ट संबंधी समस्या और साथ ही किडनी की बीमारी जैसी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता हैं| क्योंकि एक उम्र के बाद आपके शरीर के अंग के काम करने की गति धीमी पड़ जाती है ऐसे में मसालेदार खाना आपके स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है|
जिसके कारण किडनी रोगी को हार्ट में ब्लोकेज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता हैं और हार्ट अटैक आने की संभावना अधिक रहती है| जब आपका हार्ट ठीक से काम नहीं करता तो इसका असर किडनी पर भी पड़ता हैं जिसके कारण किडनी खून को सुचारू रूप से साफ नहीं कर पाती| इसलिए यदि आप हाई बल्ड प्रेशर संबंधी समस्या से जूझ रहे है तो अपने खाने में तला, भुना, मसालेदार कम कर देना चाहिए जिससे आप हार्ट और किडनी संबंधी समस्या से खुद को बचा कर रख सकते है|
वजन को नियंत्रित रखें:-
बढ़ता हुआ वजन बहुत सी बिमारियों को निमंत्रण देता है| जिनमें किडनी संबंधी समस्या प्रमुख है क्योंकि आपका वजन जितनी तेजी से बढेगा उतना ही किडनी के कार्य करने की क्षमता पर जोर पड़ेगा| साथ ही वजन बढ़ने से आपका मोटाबोलिज्म भी ठीक से काम नहीं करता| जिसके कारण शरीर में फैट जमा होने लगता हैं इलसिए आपको हमेशा से मैदा फ़ास्टफ़ूड और बाहर के खाने को नहीं खाना चाहिए क्योंकि मैदा और फ़ास्टफ़ूड खाने से वजन तेजी से बढ़ता है मैदा आपकी आतों में जम जाता है जो आपके लीवर और किडनी के लिए नुकसान दायक होता हैं| इसलिए आपको अपने वजन कंट्रोल में रखना चाहिए|
प्रतिदिन व्यायाम करें और सैर पर जाएं:-
आपने अपने घर के बड़ों को ऐसा कहते हुए जरुर सुना होगा कि जितना आप शारीरिक गतिविधियाँ करेंगे उतना ही आपका शरीर स्वस्थ रहेगा| आपमें से बहुत से लोग को सुबह उठ कर सैर पर जाना और योग करना पसंद नहीं होगा क्योंकि ऐसे लोगों को सुबह जल्दी उठाना पसंद नहीं हैं| शायद आप नहीं जानते योग क्रियाएं करने से किडनी जैसी समस्या से खुद को बचा सकते हैं| आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के दौरान किडनी को स्वस्थ रखने के लिए मंडूकासन, शशकासन, मुद्रासन, भुजंगासन योगासन करने की सलाह जाती हैं।
सोडियम
सोडियम को किडनी के लिए अच्छा नहीं मना जाता है| अगर किडनी रोगी खाने में सोडियम की मात्रा ज्यादा लें रहे हैं तो यह आपकी किडनी के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है क्योंकि सोडियम का सेवन अधिक करने से किडनी संबंधी रोग होने का खतरा अधिक रहता हैं इसलिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Ayurvedic treatment for pkd) में किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सिमित मात्रा में ही सोडियम का इस्तेमाल करना चाहिए|
पोटेशियम
अधिकतर लोगों इस बात की जानकारी नहीं होती आखिर जो वो खाना खा रहे हैं उसमें पोटेशियम की कितनी मात्रा है जिसके के कारण किडनी की खराबी बढ़ने की संभावना अधिक रहता हैं इसलिए किडनी को स्वस्थ रखने के लिए यह जरुरी हैं आप कम से कम या सिमित मात्रा में पोटेशियम युक्त भोजन को अपनी डाइट में शामिल करें|
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